अगर आप एन.एल.पी. सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में सीख रहे हों, तो आप आपका पैसा एवं समय दोनों बर्बाद कर रहे हों ।
अगर आप एन.एल.पी. सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में सीख रहे हों, तो आप आपका पैसा एवं समय दोनों बर्बाद कर रहे हों । - भाग २
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मेटा मॉडल को इजाद करने के पश्चात् एन.एल.पी. फाउंडर्स भाषा के एक और जादूगर से मिले । यह जादूगर इतना प्रभावशाली था कि आपके समझ में आए बिना आपको बदलने की ताक़त रखता था । उसका नाम था मिल्टन इरिक्सन । मिल्टन इरिक्सन को हिप्नोसिस में महारत हासिल थी । जिंदगी की बहुत सी जटील समस्याएँ जैसे चिंता, निराशा, निरूत्साह, तनाव, विस्मरण, इ. का इरिक्सन पलभर में हिप्नोसिस के इस्तेमाल से समाधान कर देता था । उसने लाखों लोगों को लम्बे अरसे से चली आई समस्याओं से निजाद दिला दी और वह भी उनके समझ में आए बिना कि बदलाहट कैसे हुई ? वह इसप्रकार से बातें करता था कि चेतन मन रूक जाता था और सूचनाएँ अवचेतन मन में स्थिर हो जाती थी । जैसे ही सूचनाएँ अवचेतन मन में स्थिर हो जाती, वैसे जिंदगी बदल जाती थी । वह सीधे हमारे अवचेतन मन से संवाद करता था, क्योंकि जिंदगी कि कोई भी बदलाहट प्रथम अवचेतन मन में होती है और अगर बदलाहट अवचेतन मन में हो तो ही बदलाहट होती है, अन्यथा वह होती ही नहीं है । वह जिस प्रकार से बातें करता था, जिससे जीवन में बदलाहट होती थी, उन लँग्वेज पॅटर्नस् को एन.एल.पी. फांउडर्स ने इकठ्ठा कर मिल्टन मॉडल बनाया, जो एन.एल.पी. की और एक महत्वपूर्ण नींव है ।
अब एक उदाहरण देखते हैं, थोड़ा ध्यान से पढ़िए ।
‘‘मुझे जरूर आश्चर्य होगा, अगर आपको अभी तक यह एहसास हुआ होगा कि जिंदगी में सही माइने में सफल होने के लिए लक्ष्य की स्थापना करना कितना जरूरी है और आपको यह अभी करने की कोई जरूरत नहीं है, जब तक कि आपके दिल में यह करने का भाव ना उठे । कोई भी इन्सान, आपको तो पता ही होगा कि आराम से उसके जीवन में लक्ष्य की स्थापना कर सकता है, जिससे उसका मन नया सीखने के लिए खुल जाता है, आनंद से भर जाता है, उत्साह से सराबोर होता है और आपको सही में इतनी आतुरता से लक्ष्य की स्थापना करने की जरूरत नहीं है, इससे अच्छा आप उस लक्ष्य प्राप्ति के बाद मिलने वाले अपार आनंद और आत्मविश्वास के बोध को जगाए । क्या आपने कभी भी किसी भी छोटे या बड़े लक्ष्य की प्राप्ति की है, बचपन में या बड़ा होने के बाद जिससे आपको उस लक्ष्य की प्राप्ति के बाद मिलने वाली कामयाबी का एहसास हुआ हो । ऐसा एहसास जो आपके दिल को छू गया हो, क्योंकि हर बार जब भी आपको लक्ष्य प्राप्ति के बाद कामयाबी का एहसास होता है, आपका मन भविष्य में और दूसरे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आतुर हो उठता है । लक्ष्य प्राप्ति की चाहत पैदा होती है ।’’
क्या आपने भाषा के इस्तेमाल पर गौर किया? अगर नहीं तो फिर से पढ़िए । यहाँ पर मैंने हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् का इस्तेमाल किया है । ये लँग्वेज पॅटर्नस् हमें अपने अवचेतन मन से जुड़ने में मदद करते हैं । ये पॅटर्नस् हमारे चेतन मन को किनारे कर देते हैं और अवचेतन मन से संवाद प्रस्थापित करने में मदद करते हैं । जैसे कि..........
- मुझे आश्चर्य होगा अगर आपको अभी तक यह एहसास हुआ होगा कि .......... आसान, सरल, सुलभ,आरामदेह, संतोषजनक, आनंददायक, सहज, इ. ।
- और.......... जरूरत नहीं है तब तक जब तक कि आपको यह अंदरूनी एहसास ..........
- और कोई भी इंन्सान, आपको तो पता ही होगा.......
- और आपको सही में इतनी आतुरता से.......... बोध को जगाएँ ।
- क्या आपने कभी भी .......... जिससे ...........?
- क्योंकि हर बार जब भी .......... आपका मन / शरीर
मैंने इन छह लँग्वेज पॅटर्नस् की मदद से उदाहरण लिखा है । इस प्रकार से लगभग एक सौ चौदह हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् हैं, जिससे हम बातों-बातों में हिप्नोसिस का इस्तेमाल कर सकते हैं और हमारा सन्देश पूरी ताक़त से दूसरों के सामने रख सकते हैं । अब थोड़ा सोचिए, इस प्रकार अगर आपने एक सौ चौदह हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् अंग्रेजी में सीख लिए और रोजमर्रा की जिंदगी में आप हिंदी इस्तेमाल कर रहे हो, तो यकिन मानिए आप कभी भी ये हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे । जैसे ही आप ये हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् अंग्रेजी के साथ-साथ आपकी रोजमर्रा की भाषा में भी सीख लेते हो, तो इन्हें इस्तेमाल करना आसान हो जाता है । इसीलिए आइ.बी.एच.एन.एल.पी. में हमारा प्रयास रहता है, कि एन.एल.पी. प्रैक्टिशनर ट्रेनिंग कोर्स के प्रतिभागियों को हिप्नोटिक लँग्वेज पॅटर्नस् अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओं में पढ़ाएं जाए, ताकि जरूरत के मुताबिक वे उनका इस्तेमाल कर सकें । इतना ही नहीं अनेक मुख्य प्रादेशिक भाषाओं में इनके अनुवाद भी आप को मिल जायेंगे, इससे चीजें और भी सरल हो जाएगी ।
पर दुर्भाग्य से भारत में जो एन.एल.पी. कोर्सेस कंडक्ट किये जाते हैं, वे एक तो पूरी तरह से अंग्रेजी में होते हैं, या तो पूरी तरह से हिंदी में । इससे प्रतिभागियों का बड़ा नुकसान होता है, पर जब तक उन्हें कुछ समझ में आए, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । अतः आई.बी.एच.एन.एल.पी. में हम ने बहुत सोच विचार के पश्चात् मेटा मॉडल अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी सीखना शुरू किया । यकिन मानिए, ऐसा करने वाली आई.बी.एच.एन.एल.पी. यह पहली एन.एल.पी. ट्रेनिंग संस्था है । दूसरी और भी कई महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनके बारे में अगर आप एन.एल.पी. ट्रेनिंग कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं, तो आप को पता होना ही चाहिए ।
उनके बारे में अगले ब्लॉग में बात करेंगे । तब तक के लिए ......
‘एन्जॉय यूवर लाईफ एंड लिव्ह विथ पॅशन !’
आप भी चाहते होंगे कि आपका व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन सफलता की नई बुलंदियों को छुएं, तो निश्चित ही आप एन.एल. पी. के जादुई और ताकदवर तकनीकों को सीखने के लिए भी बेहद उत्सुक होंगे ।