एन.एल.पी. सर्टिफिकेशन : एक अनसुलझी पहेली
एन.एल.पी. सर्टिफिकेशन : एक अनसुलझी पहेली
क्या आप सिर्फ और सिर्फ एन.एल.पी. सर्टिफिकेशन को लेकर चिंतित हैं?
अगर ‘हाँ’, तो आपको यह ब्लॉग जरूर पढ़ना चाहिए ।
एक दिन एक जंगल में सुबह के समय एक लोमड़ी शिकार करने निकली । आगे चलकर उसे एक खरगोश दिखाई दिया । लोमड़ी उस खरगोश को दबोचने ही वाली थी, तभी उसे एहसास हुआ कि वह खरगोश उसकी नज़रों से नज़रे मिला रहा है और निडर होकर वहीं खड़ा है । कुछ पल के लिए लोमड़ी भी हैरान हो गयी, क्योंकि उसकी अपेक्षा थी कि उसे देखते से ही खरगोश को भाग जाएगा, पर ऐसा कुछ हुआ नहीं । जैसे ही लोमड़ी खरगोश के तरफ बढ़ी तो खरगोश और सीना तान के उसके सामने खड़ा रहा । लोमड़ी और आगे बढ़ी, पर खरगोश जगह से हिलने का नाम नहीं ले रहा था । यह सब देखकर लोमड़ी परेशान थी । उसे समझ में नहीं आ रहा था, कि क्या हो रहा है? नजदीक जाने के बाद उसने खरगोश से कहा, “क्या तुम्हें पता नहीं है कि मैं लोमड़ी हूँ और मैं मांसाहार करती हूँ । शायद तुम्हें अंदाजा नहीं है कि मेरे पंजे कितने खूंखार हैं, सिर्फ एक झपट्टा और तुम मौत की नींद सो जाओगे । तुम्हारी औकात ही क्या है मेरे सामने? तुम तो बस एक क्षुद्र प्राणी हो, तुम्हें मुझ से डरना चाहिए । मुझे देखते ही तुम्हें भागना चाहिए । मैं एक लोमड़ी हूँ और एक खुंखार एवं ताक़तवर प्राणी हूँ ।” इस पर शांती से खरगोश ने कहा, “क्या तुम्हारे पास कोई सर्टिफिकेट है लोमड़ी होने का? सर्टिफिकेट चाहिए, नहीं तो हमें कैसे पता चलेगा कि तुम कौन हो? जाओ, सर्टिफिकेट लेकर आओ और फिर बात करेंगे ।”
इस पर लोमड़ी भ्रमित हो गई और चल पड़ी शेर की गुफा की तरफ, क्योंकि शेर तो जंगल का राजा था और अगर लोमड़ी होने का सर्टिफिकेट लेना हो, तो उससे ही लेना पड़ेगा और कुछ ही देर में लोमड़ी शेर के सामने खड़ी थी । उसने शेर से कहा, “राजा साहब! जंगल में सारे प्राणी सर्टिफिकेट मांग रहे हैं, उन्हें यकीन नहीं है कि मैं ही लोमड़ी हूँ, कृपा कर मुझे सर्टिफिकेट दे ।” शेर ने कागज लिया, पेन लिया और लिखना शुरू किया, “यह एक लोमड़ी है और मांसाहार करती है । इसके पंजे बड़े ही खुंखार तथा जानलेवा होते हैं । सिर्फ एक झपट्टे से ही छोटे जानवरों की मौत भी हो सकती है, इसी लिए सारे क्षुद्र प्राणियों को इससे डरना चाहिए । इसे देखते ही भाग जाना चाहिए । यह एक लोमड़ी है और एक खुंखार तथा ताक़तवर प्राणी है ।” नीचे शेर ने मुहर लगाई, हस्ताक्षर किए और लोमड़ी को बड़े ही आदर से सर्टिफिकेट दे दिया ।
लोमड़ी सर्टिफिकेट लेकर फिर से खरगोश के पास गई और उसे सर्टिफिकेट दिखाया । सर्टिफिकेट पढ़ने के बाद खरगोश की आँखों में डर छा गया, उसके हाथ पैर कांपने लगें और पलभर में खरगोश वहाँ से भाग गया । इससे लोमड़ी को बड़ा अच्छा लगा कि चलो, कम से कम सर्टिफिकेट देखने के बाद तो खरगोश डर कर भागा, याने अब फिर से छोटे प्राणी मुझसे डरने लगेंगे । उसे लगा कि शेर को धन्यवाद देना चाहिए और इसी लिए लोमड़ी फिर से शेर की गुफा की तरफ चल पड़ी । लोमड़ी ने दूर से ही देखा कि एक गधा शेर के बगल में खड़ा था और शेर से शेर होने का सर्टिफिकेट मांग रहा था । लोमड़ी हैरान थी, उसे इसकी बिलकूल ही उम्मीद नहीं थी कोई शेर से भी सर्टिफिकेट मांग सकता है । जैसे ही गधे ने शेर से सर्टिफिकेट मांगा, शेर ने गधे से कहा, “मुझे अगर भूख लगी होती, तो तुझे सर्टिफिकेट मांगने का समय भी नहीं मिलता, अब तक तू मेरे पेट में होता और अगर मुझे भूख नहीं लगी है, तो मुझे परवाह नहीं है कि तू क्या बकबक कर रहा है ।” शेर ने गधे से जो कहा, फिर से एक बार मैं दोहराता हूँ, “मुझे अगर भूख लगी होती, तो तुझे सर्टिफिकेट मांगने का समय भी नहीं मिलता, अब तक तू मेरे पेट में होता और अब जब कि मुझे भूख नहीं लगी है, तो मुझे पर्वा नहीं है कि तू क्या बकबक कर रहा है ।” शेर का जबाब सुनकर लोमड़ी को एहसास हुआ कि सर्टिफिकेट से ज्यादा "मैं ताक़तवर हूँ ।” यह एहसास, यह स्पिरिट, यह आत्मविश्वास और यह खुमारी दिल में होना जरूरी है ।
अगर यह कहानी पढ़ने के बाद आप इस नतीजे तक पहुँचे हैं कि सर्टिफिकेट की कोई आवश्यकता ही नहीं है, तो शायद मैं अपनी बात आप तक पहुँचाने में असफल रहा । मुझे सिर्फ इतना ही कहना है कि एन.एल.पी. ट्रेनिंग सर्टिफिकेट से ज्यादा एन.एल.पी. का स्पिरिट हमें अपने भीतर खड़ा करने की आवश्यकता है । यह स्पिरिट, यह आत्मविश्वास और यह खुमारी शायद सिर्फ हमारे पास सर्टिफिकेट होने ने से नहीं आएगी । ‘मुझे केवल एन.एल.पी. का सर्टिफिकेट चाहिए ।’ इस विचार से उपर उठकर आपको सोचना होगा । आपको एन.एल.पी. का यह स्पिरिट अपने अंदर जगाना पड़ेगा । उस आत्मविश्वास को जगाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी होगी । उस खुमारी को आविष्कृत करने के लिए प्रयास करना होगा । यही स्पिरिट, यही आत्मविश्वास और यही खुमारी एक अतुलनीय ताक़त को निर्मित करती है, जो किसी आम को खास बनाती है ।
सर्टिफिकेट सिक्के का सिर्फ एक पहलू है, जो महत्वपूर्ण जरूर है, लेकिन उससे भी ज्यादा उस एन.एल.पी. स्पिरिट को जगाना ज्यादा आवश्यक है, इसीलिए आइ.बी.एच.एन.एल.पी. सर्टिफिकेट के साथ-साथ आप के भीतर एन.एल.पी. स्पिरिट को जागृत करने के लिए भरसक कोशिश करती है, प्री-ट्रेनिंग कोर्स तथा पोस्ट ट्रेनिंग द्वारा आपकी यथासंभव मदद भी की जाती है और यहीं वह बात है, जो आइ.बी.एच.एन.एल.पी. को दूसरे एन.एल.पी. ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटस् से अलग करती है ।
एन.एल.पी. सर्टिफिकेट के साथ-साथ थोड़ी इस बात की भी चिंता करें, कि जिस विषय में आपको सर्टिफाय किया जा रहा है, उस विषय में आपको सच में महारत हासिल हो रही है, या नहीं । मैंने देखा है कि अनेक प्रतिभागी केवल ऐसा सोचकर एन.एल.पी. ट्रेनिंग कोर्स जॉइन करते हैं कि एक अच्छा एन.एल.पी. ट्रेनिंग सर्टिफिकेशन मिल जाए तो बाकी सब मैं देख लूँगा, वैसे तो मुझे सब कुछ पता है, केवल किसी अच्छी एन.एल.पी.ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का सर्टिफिकेशन मिल जाए, तो बात बन जायेगी । ऐसे प्रतिभागी ना तो एन.एल.पी. को सही मायने में समझने में उत्सुक होते हैं, ना ही एन.एल.पी. टूल्स एवं टेक्निक्स को समझकर अपने जीवन को रूपांतरित करने में । इसी लिये शायद सर्टिफिकेशन मिल जाने के पश्चात् भी न ही वे व्यक्तिगत जीवन में कुछ बदलाव ला पाते हैं, ना ही बतौर ट्रेनर या कोच दूसरों की मदद कर पाते हैं । मूलभूत समस्या उनके दृष्टिकोन में है । सर्टिफिकेशन तभी मददरूप होता है, जब आपने उसे उसके ट्रू स्पिरिट में सीखा हो । नहीं तो मैं ऐसी बहुत सी एन.एल.पी. ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटस् देखता हूँ जो बहुत ही कम दाम में एन.एल.पी. सर्टिफिकेशन बेचने की दुकाने खोले हुए बैठी हैं और लोग भी बड़े मजे से सर्टिफिकेशन पर सर्टिफिकेशन खरीदे जा रहे हैं । पर आप ही सोचिए कि ऐसा कोई भी सर्टिफिकेशन आगे जाकर आपको कितना मददगार साबित होगा?
एन.एल.पी. के इस जज्बे को आपके भीतर जगाने के लिए आइ.बी.एच.एन.एल.पी. में हम एन.एल.पी. के साथ-साथ हिप्नोसिस तथा लाइफ कोचिंग के अलग-अलग पहलुओं को भी कवर करते हैं । मुख्यत: डायरेक्ट हिप्नोसिस सीखने के कारण मेटा मॉडल तथा मिल्टन मॉडल समझने में प्रतिभागियों को सहूलियत होती है और लाइफ कोचिंग की प्रोसेस समझने के पश्चात् दूसरों की पेशेवर रूप में मदद करना भी शक्य होता है । इस पूरी प्रक्रिया में हमारा फोकस ट्रेनिंग को एक्सपीरियंशल बनाने पर होता है । एन.एल.पी. से क्या बदलाव आ सकता है, इसका एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर एक जीवित उदाहरण होता है, एन.एल.पी. के तकनीकी या पारिभाषिक शब्दजाल में प्रतिभागियों को न अटकाते हुए एन.एल.पी. ट्रेनिंग में हमारा फोकस सभी प्रतिभागी एन.एल.पी. की ताकत को कैसे अनुभव करें? इस पर होता है ।
सर्टिफिकेट देने से पूर्व हम इस बात का पूरा ख्याल रखते हैं कि जिस विषय में आपको प्रमाणित किया जा रहा है, उसमें आपको सही मायने में महारत हासिल हो । साथ ही साथ क्लासरूम ट्रेनिंग के बाद एक महीने तक पोस्ट-ट्रेनिंग और उसके पश्चात् आपको प्रोजेक्ट सबमिशन भी होता है, जिसका पूरा स्ट्रक्चर आपको ट्रेनिंग के छठे दिन विस्तारपूर्वक बताया जाएगा । इसके तहत आपको कम से कम तीन लोगों के औसतन पाँच लाईफ कोचिंग सेशनस् लेने हैं एवं दिए गए प्रारूप में प्रोजेक्टस् बनाकर आइ.बी.एच.एन.एल.पी. को भेजना होता है । जिससे हमें यह पता चल सके कि आपको जिस एन.एल.पी., हिप्नोसिस, लाईफ कोचिंग के लिए सर्टिफाय किया जा रहा है, वह उचित है, या नहीं । आपके प्रोजेक्टस् बोर्ड मेम्बर्स द्वारा स्वीकृत होने के बाद ही आपको आइ.बी.एच.एन.एल.पी. की मेम्बरशिप मिलती है, अगर आप किसी कारणवश सफलतापूर्वक प्रोजेक्टस् सबमिट नहीं कर पाते, तो आपको एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर के साथ तीन से पाँच ऑनलाइन सेशनस् करने होते हैं । याने आप ऐसा कह सकते हैं कि प्रथम सीढ़ी से लेकर सफलता के अंतिम शिखर तक के प्रवास में आइ.बी.एच.एन.एल.पी. आपके साथ होगी । हमारा दायित्व केवल आपको छह दिनों का एन.एल.पी. ट्रेनिंग प्रदान करना इतना ही नहीं होगा, इससे कई गुना जिम्मेदारी हमारे कन्धों पर होती है और हम उसे बखूबी निभाते हैं । हमारा प्रयास है कि भारत में रहते हुए आपको एन.एल.पी. का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बेहतरीन ट्रेनिंग मिले, सर्वश्रेष्ठ सर्टिफिकेशन मिले और साथ ही साथ आप एन.एल.पी. में सही मायने में महारत हासिल करें । अब आप ही सोचे आपको करना क्या है?
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