माइंडफुलनेस प्रस्तावना
माइंडफुलनेस प्रस्तावना
ब्लॉग की यह कडी बाकी विषयों से थोड़ी अलग है । अब तक अलग-अलग विषयों पर मैं ही लिखता था, पर इस कडी में हम कुछ दूसरे मास्टर्स के भी आर्टिकल पढेंगे । वैसे तो मांइफुलनेस, अवेरनेस, मेडिटेशन, कॉन्शसनेस, ध्यान, साक्षीभाव इ. सारे शब्द किसी एक ही बात की ओर इशारा करते हैं और शायद आपको पता ही होगा, कि ‘माइंडफुलनेस’ का होना कोचिंग की चेंज वर्क प्रक्रिया में सबसे ही बुनियादी बात है । इस कडी के सारे ब्लॉग इसी विषय के आसपास होंगे और इस में हम कुछ बड़ी हस्तियों के विचारों पर सोचने का प्रयास करेंगे, जैसे कि ओशो, जे. कृष्णमूर्ती, जॉर्ज गुरर्जीएफ, एकहार्ट टोले, दिपक चोप्रा इ. । इसी लिए ब्लॉग की इस कडी को मैंने ‘मास्टर्स ऑन माइंडफुलनेस’ का नाम दिया है और मुझे यकिन है कि ‘माइंडफुलनेस’ के संदर्भ में पढ़ना आपके लिए भी बेहतरीन अनुभव साबित होगा । आगे बढ़ने से पूर्व ‘माइंडफलनेस’ के संदर्भ में आचार्य रजनीश (ओशो) की कुछ पंक्तियाँ पढ़ते हैं ।
What Is Mindfulness?
अब थोड़ा आगे बढ़ते हैं और एक कहानी से शुरुआत करते हैं ।
एक रात एक पियक्कड़ ने बहुत शराब पी ली, इतनी कि वह बेहोश होने को ही था । आदत वश अपने घर चला आया, या कहो लड़खड़ाते पैर उसे घर ले आए, लेकिन मदहोश था, तो अपना ही घर पहचान न सका । सीढ़ियों पर खड़े होकर पास पड़ोस के लोगों से पूछने लगा कि मैं अपना घर भूल गया हूँ, कोई कृपा कर मुझे अपने घर तक पहुँचा दो । शोरगुल सुन कर उसकी बूढ़ी माँ उठ आई, दरवाजा खोल कर उसने देखा, उसका बेटा चिल्ला रहा है, रो रहा है, कि कोई उसे अपने घर पहुँचा दो । उसने बेटे के सिर पर हाथ रखा और कहा, “बेटा यह तेरा ही घर है और मैं तेरी माँ हूँ ।”
शराब के नशे में धूत उस नौजवान ने कहा, “हे बुढ़िया, तू तो मेरी जैसी ही दिखती है, मेरी बूढ़ी माँ मेरा इंतजार करती होगी । आप सब लोग मुझ पर कृपा कर मुझे अपने घर का रास्ता बता दो ।” इस पर सब लोग खिलखिला कर हंसने लगे, उनको हंसता देख उस शराबी ने पूछा, “पर आप सब लोग क्यों हंस रहे हो? कोई मुझे अपने घर का रास्ता क्यों नहीं बताता? मैं कहाँ जाऊँ? मैं कैसे अपने घर का रास्ता ढूंढू?” वह चिल्लाने लगा । उसी बीच रास्ते से एक बैलगाडी आ रही थी, उसने उस बैलगाडी को रोका और उस में बैठ गया । लोग बोलने लगे, “अरे पागल, तू घर के द्वार पर ही खड़ा है, अगर तू बैलगाडी से कही जाएगा, तो घर के करीब नहीं, बल्कि घर से और दूर जाएगा ।” पर उसने किसी की एक न सुनी और अपने घर को ढूंढने के लिए वह घर से दूर निकल गया ।
हमारी भी स्थिति शायद उस शराबी जैसी ही है । स्वयं को ढूंढते हुए स्वयं से दूर चले आए हैं, अब फिर से स्वयं के समीप आने पर विचार करना होगा । इसी सोच के साथ शायद ‘माइंडफुलनेस’, ‘अवेरनेस’ या ‘जागरूकता’ को विकसित करने की विधियाँ खोजी गयी । हमें स्वयं के नजदीक आना है, पर शायद हम जो कुछ कर रहे हैं, उस से हम स्वयं से दूर जा रहे हैं । स्वयं के नजदीक आने के लिए माइंडफुलनेस की विधियाँ मदद कर सकती हैं और माइंडफुलनेस पर जो संशोधन हो रहे हैं, वे सारे संशोधन इसी के तरफ इशारा करते हैं । जैसे ही हम माइंडफुलनेस का अभ्यास करने लगते हैं, हमारे अंदर की अच्छाई, सकारात्मकता, उत्साह और आंनद जागृत होने लगता है । नयी खोजे तो यहाँ तक कहती है, कि जीवन रूपांतरण हेतू सिर्फ माइंफूलनेस ही काफी है । जैसी ही हम अपनी भावनाओं के प्रति, विचारों के प्रति तथा वर्तन के प्रति सजग होने लगते हैं, वैसे ही नकारात्मकता, खालीपन और दुःख तिरोहीत होने लगते हैं ।
एक सबसे अहम बात यहाँ पर याद रखनी होगी, कि जीवन में किसी भी बदलाहट की शुरुआत माइंडफुलनेस या जागरूकता से ही होती है, इसी लिए किसी भी चेंज वर्क को शुरू करने से पूर्व मैं क्लाइंट को माइंडफुलनेस या जागरूकता से जुड़ी हुई कुछ एक्टिविटीज् देता हूँ । जिससे परिवर्तन की प्रक्रिया आसान हो जाती है । जैसे ही क्लाइंट अपनी समस्या के संदर्भ में सचेत होने लगता है, वैसे ही एन.एल.पी. के टूल्स् का इस्तेमाल करना आसान हो जाता है । कभी-कभी तो ऐसा भी होता है, कि सिर्फ माइंडफुलनेस या जागरूकता के आने से ही समस्याएँ तिरोहीत हो जाती हैं । शायद यहीं वह कारण है, जिसके चलते माइंडफुलनेस मेडिटेशन सिर्फ मेडिटेशन की विधी न रहकर ‘माइंडफुलनेस थेरपी’ बन रहा है ।
अब आगे माइंडफुलनेस या जागरूकता पर बात करने से पूर्व हाल ही में हुए कुछ संशोधनों के पर नजर डालते हैं ।
- 8 हफ़्तों के माइंडफुलनेस ट्रेनिंग के बाद लगभग 80 प्रतिशत प्रतिभागियों की एंग्जायटी लेवल में 60 प्रतिशत की कमी देखी गयी ।
- माइंडफुलनेस प्रैक्टिशनर वर्कशॉप के बाद किये गये एक सर्वे में एक चौकानेवाली बात सामने आयी । माइंडफुलनेस से लोगों में जो दूसरों के वंश या जाती के प्रति पूर्वाग्रह होते हैं, उसकी तीव्रता में भी बड़ी भारी गिरावट देखी गयी । लोग ज्यादा शांत, संयमित और दयालू प्रतीत हुए ।
- एक शोध में यह भी देखा गया, कि जो लोग अवसाद या डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, उन में भी माइंडफुलनेस ट्रेनिंग के बाद सुधार देखा गया ।
- आज बहुत बड़ी तादाद में लोगों को किसी काम पर फोकस करने में दिक्कते आ रही हैं । बढ़ते मनोरंजन के संसाधन, टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन इ. के कारण हमारी फोकस करने की क्षमता टूट रही है । आज दो पन्ने मन लगाकर पढ़ना भी बड़ी बात हो चुकी है । पर हाल ही में हुए शोध कहते हैं, कि हमारे फोकस करने की क्षमता को माइंडफुलनेस का अभ्यास तीव्रता से बढ़ा सकता है ।
पर यह माइंडफुलनेस क्या है? यह कैसे काम करता है? इसका अभ्यास किस प्रकार से किया जाए? इन प्रश्नों के उत्तरों को जानने के लिए आपको ‘मास्टर्स् ऑन माइंडफुलनेस’ के ब्लॉग पढ़ने होंगे और मुझे यकिन है, कि ये ब्लॉग आपकी सोच को बदलकर रख देंगे, जीवन में छिपी नई संभावनाओं को उजागर करेंगे तथा आपको और ज्यादा शांत, उत्साही, संयमित और आनंदी बनाने में आपकी मदद करेंगे ।
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आइ.बी.एच.एन.एल.पी. द्वारा माइंडफुलनेस तथा माइंडफुलनेस बेस्ड न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग के वर्कशॉप की जानकारी हेतू विजिट करें - www.mbnlpc.com