क्या एन.एल.पी. हमारे परिवार को भी रूपांतरीत कर सकता है ?
एक दिन मैं मेंरे अंकल के घर गया था । कुछ ही देर में उनका छोटा लकड़ा स्कूल से घर आया । घर आते ही रोने लगा । सब लोग इकठ्ठा हुए और उसे पूछने लगे कि वह रो क्यों रहा है । रोते रोते ही उसने कहा कि गणित मेंरे लिए बहुत कठीन है । इसपर उसके पापा ने कहा, “तो इसमें कौनसी रोने वाली बात है, गणित तो मरे लिए भी कठीन था, और वैसे भी गणित विषय ही ऐसा है और ज्यादातर लोगों के लिए कठीन ही होता है । चलो! अब यह रोना धोना छोड़ो, कल में स्कूल में मॅम से मिलता हूँ । अब जरा इस संवाद पर सोचना ।
थोड़ी देर बाद मैं उससे बातें करने लगा । मैंने उससे पूछा कि रोते रोते तुम क्या कह रहे थे, मुझे कुछ समझ में नहीं आया क्या तुम फिरसे बता सकते हो? यह सुनते ही वह थोड़ा असहज हो गया । उसने कहा, “गणित मेंरे लिए बहुत कठीन है ।” यह सुनने के बाद मैंने उससे पूछा कि पूरा गणित ही कठीन है या गणित का कुछ हिस्सा कठीन है? वह सोचने लगा । मैंने फिरसे पूछा, पूरा गणित ही कठीन है या गणित का कुछ हिस्सा? उसने कहां, “वैसे तो कुछ कुछ अच्छे से आता है, पर कुछ हिस्सा समझ में नहीं आता ।” अब मैंने उससे पूछा कि कुछ हिस्सा याने क्या? गणित में कितने लेसन हैं? उसने सोचते हुए कहा, “इस साल हमें ग्यारह लेसन हैं ।” फिर मैंने उससे पूछा कि ग्यारह में से कितने लेसन समझ में नहीं आतें? वह फिर सोचने लगा और उसने कहा, “तीन ।” फिर मैंने उससे सवाल किया, “क्या इन तीन लेसन में तुम्हें कुछ भी समझ में नहीं आया है?” तो उसने कहा कि वैसा तो नहीं है । कुछ समझा है और कुछ नहीं समझा है । मैंने कहा, “चलो, किताब लाओ और मुझे बताओ कि क्या कुछ भी नहीं समझ में आया?” झटसे उसका मूड बदल गया । वह दौड़ते हुए गया और किताब लेकर आया और मुझे बताने लगा कि उसे क्या समझ में नहीं आया है । हम दोनों ने जब गौर किया, तो समझ में आया कि तीन लेसन में सिर्फ दो हिस्सें ऐसे थे, जो उसे समझ में नहीं आएँ थे । यह जानने के बाद मैंने उससे पूछा कि क्या सच में उसके लिए गणित कठीन है, या सिर्फ गणित के ये दो हिस्सें उसके समझ में नहीं आ रहे हैं? उसने कहा कि गणित के सिर्फ दो हिस्सें और वह मेरी तरफ देखकर मुस्कूराने लगा ।
एन.एल.पी. कहता है कि हमारा आंतरिक जगत कहीं बार टूट जाता है और इस टूटे हुए जगत के बारे में हम हमारी टूटी हुई भाषा के इस्तेमाल से बयान करते हैं । अगर हमें कोई ऐसा इन्सान मिल जाए, जो भाषा का सही इस्तेमाल करना जानता है, तो वह उसी भाषा का इस्तेमाल करते हुए हमारे टुटे हुए जगत को फिरसे बुन सकता है । अगर हम भाषा का सही इस्तेमाल करें, तो हम भी यह काम कर सकते हैं, हम भी खुद के टूटे हुए जगत को बुन सकते हैं ।
एन.एल.पी. हमें ये सब बातें मेटा मॉडल और मिल्टन मॉडल के जरिए सिखाता है । जिससे हम सही में एक मास्टर कम्युनिकेटर बनते हैं । एन.एल.पी. के जरिए हम हमारे परिवार को भी रूपांतरीत कर सकते हैं ।
बहुत बार एन.एल.पी. सीखने के लिए माता पिता भी आते हैं । पर क्यों? माता पिता को एन.एल.पी. सीखने से क्या मिलेगा? आप ही जरा सोचे अगर आप का भी बच्चा है, तो मुझे पता है कि आप दिल से यह चाहत रखते हो कि आप अपने बच्चों की भावनाओं को समझे और आप क्या सोचते हैं यह भी उन्हें समझाएँ और वह भी बिना घुस्सा किए । आपको शायद यह महसूस हुआ होगा कि बहुत बार आप अपने बच्चों के सामने खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाते और बच्चें भी खुद को आपके सामने अभिव्यक्त करने में हिचकिचाते हैं । मुझे पता है कि आपको आश्चर्य हुआ होगा यह जानते हुए कि यह लगभग हर माता पिता की दिक्कत है कि किसप्रकार वह उनके बच्चों के साथ संवाद प्रस्थापित करें । एन.एल.पी. में हम यहीं सीखते हैं । क्या आप कल्पना कर सकते हो खुद की, कि जो बड़े ही सरलता और सहजता से बच्चों के जगत के साथ जुड़ जाता हो, जब वह उनके साथ होता हो तो सिर्फ उनके ही साथ हो, जब वह बच्चों के साथ हो तो आनंद से भरा हो । क्या आप कल्पना कर सकते हो खुद की कि जो बच्चों के साथ बच्चा बन जाता हो, उनके उत्सव में खुद को सम्मिलित करता हो? क्या आप कल्पना कर सकते हो खुद की कि जो बच्चों के अंतरजगत को जानता हो और खुद उस अंतरजगत से जुड़ जाता हो । और आपको यकिन नहीं होगा कि एन.एल.पी. में हम यहीं सब सीखते हैं । और यह बहुत अच्छा है कि यह करने की आपकी इच्छा है और इसीलिए आप यह ब्लॉग भी पढ़ रहे हो । याद रखना यह सब कौशल सीखना बिलकुल ही कठीन नहीं है, सिर्फ आपके पास यह सीखने की तीव्र इच्छा और थोड़ा समय चाहिए, क्योंकि जागृत अवस्था में जब हम किसी कौशल को सीखना शुरू कर देते हैं, तब अर्धजागृत या अचेतन तल पर कोई शक्ति जागृत होने लगती है, जिससे सीखना सहज और आनंददायक बनता है । जब किसी सीखने कि प्रक्रिया में हमारा अचेतन गहनता से सम्मिलीत हो जाता है, तो सीखना जल्द होने लगता है । यह बिलकुल ही जरूरी नहीं है कि आपके जागृत मन को सटिकता से जानकारी हो कि आपको सीखना क्या है । अगर आपका अचेतन या अर्धजागृत मन सीखने में उत्सुक हो जाता है, तो सीखना उत्सव बन जाता है । शायद आप खुद ही पाएँगे, आपके परिवार में आपके बच्चों के साथ किसी गहरे तलपर का जुड़ाव, आनंद की भावदशा और सहजता । जैसे ही आप एन.एल.पी. में यह सब सीखेंगे, आपको यकिन से यह एहसास होगा कि आप सही माइने में एक आदर्श माता पिता बन रहे हो, एक प्रेमपूर्ण माता पिता बन रहे हो, एक अच्छे इंन्सान बन रहे हो, क्योंकि आप आपके परिवार के साथ एक जुड़ाव महसूस करेंगे । जैसे ही आपको यह अंदरूनी एहसास होगा, वैसे आपका वर्तन बदल जाएगा, आपकी सोच बदलेगी और जिंदगी एक नई राह पर चल पड़ेगी ।
और बहुत सी बातें हैं, अगले ब्लॉग में मिलते हैं ।
तब तक के लिए ‘एन्जॉय यूवर लाईफ अॅन्ड लिव्ह विथ पॅशन !’
- संदिप शिरसाट
(लेखक इंडियन बोर्ड ऑफ़ हिप्नोसिस अॅन्ड न्यूरो लिंगविस्टिक प्रोग्रॅमिंग के संस्थापक अध्यक्ष तथा एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर है ।)
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लेखक इंडियन बोर्ड ऑफ़ हिप्नोसिस अॅन्ड न्यूरो लिंगविस्टिक प्रोग्रॅमिंग के संस्थापक अध्यक्ष तथा एन.एल.पी. मास्टर ट्रेनर है ।